Thursday, August 18, 2016

वहाबी देवबंदी को गुस्ताख क्यों कहते हैं

*"वहाबी और अहले हदीस जमात को गुस्ताखे रसूल क्यों कहा जाता है..?*

_हिंदुस्तान में सबसे पहले अल्लाह और नबी की शान में शरीयतें मुताहरा में तहरीर गुस्ताखी करने वाले लोग और उनके फिरके।_
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*(1) अल्लाह की मक्कारी, धोखे से डरना चाहिये, अल्लाह बन्दों से भी मक्कारी करता है।*
_(तकवेतुल ईमान पेज नंबर 76, मौलवी इस्माईल देहलवी,अहले हदीस)_
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*(2) नमाज में नबी का ख्याल लाना अपने गधे (donkey) बैल के ख्याल में डूब जाना से ज्यादा बदत्तर है।*
_(सिरात ऐ मुस्तकीम पेज नंबर 118 मौलवी इस्माईल देहलवी, अहले हदीस)_
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*(3) हुजूर के बाद भी कोई नबी आ जाये तो भी हुजूर के आखरी नबी होने पर फर्क नहीं पड़ेगा।*
_(तहजिरुन नास पेज नंबर 14 मौलवी कासिम ननोतवी, देवबंदी)_
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*(4) उम्मती अमल (नमाज, रोजा, हज, नफिल, इबादतों में नबी से बढ़ जाते है।*
_( तहजिरुन नास पेज नंबर 5 मौलवी कासिम ननोतवी, देवबंदी)_
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*(5) सहाबा को काफिर कहने वाला, मुसलमान से ख़ारिज नहीं होगा।*
_(फतावा ऐ रशीदिया जिल्द नंबर 2 पेज नंबर 11 रशीद अहमद गंगोही, देवबंद)_
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*(6) नबी से ज्यादा इल्म शैतान को है, जो ज्यादा इल्म नबी का बताये वो मुशरिक है।*
_(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 55 मौलवी खलील अहमद अमबेठी देवबंदी)_
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*(7) अल्लाह तआला झूठ बोलता है (मुमकिन)*
_(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 273 मौलवी खलील अहमद अमबेठी, देवबंदी)_
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*(8) नबी का मिलाद करना, कृष्ण का जन्म दिन मनाने की तरह है।*
_(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 152 मौलवी खलील अहमद, देवबंदी)_
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*(9) हुजूर ने उर्दू जुबान मदरसा ऐ देवबंद में ओलेमा ऐ देवबंद से सीखी।*
_(बराहिनुल कतिआ पेज नंबर 30 मौलवी खलील अहमद अमबेठी, देवबंदी)_
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*(10) हुजूर को दीवार के पीछे का भी इल्म नहीं।*
_(बराहितुल कतिआ पेज नंबर 55 मौलवी खलील अहमद अमबेठी, देवबंदी)_
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*(11) नबी का जो इल्म ऐ ग़ैब है इसमें हुजूर का क्या कमाल, ऐसा तो इल्म ऐ ग़ैब हर किसी को, हर बच्चे, पागलों और जानवरों को भी है।*
_(हिफजुल ईमान पेज नंबर 8 मौलवी अशरफ अली थानवी, देवबंदी)_
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*(12) हाथ में कोई नापाक चीज (खून, पेशाब, पखाना, मनी) लग जाये तो किसी ने जुबान से तीन मर्तबा चाट लिया तो पाक हो जायेगा।*
_(बहेस्ती जेवर जिल्द 2 पेज नंबर 18 मौलवी अशरफ अली थानवी, देवबंदी)_
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*(13) ख्वाजा गरीब नवाज या कोई वली के मजार पर जाना इतना बड़ा है जैसे किसी लड़की से जिना करने से भी बड़ा गुनाह है।*
_(तजदीद ओ ऐहया ए दीन पेज नंबर 96 मौलवी अबू आला मौदूदी, जमात ऐ इस्लामी S-I-O, S-I-M)_
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*(14) सब जगह अल्लाह के रसूल अल्लाह की किताब लेकर आये है, और बहुत मुमकिन है कि (बुद्ध, कृष्ण, राम, मानी(Maani), सुकरात, Fisa goras(फिसा गोरास)) इन्हीं रसूलों में से है।*
_(तफहिमात जिल्द 1 पेज नंबर 124 मौलवी अबू आला मौदूदी, जमात ऐ इस्लामी S-I-M, S-I-O )_
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*(15) झूठ, जुल्म, और तमाम बुराईयाँ जैसे (चोरी, जहालत, जिना, गीबत) करना अल्लाह के लिये कोई ऐब नहीं।*
_(जहदुल-मकल जिल्द 3 पेज नंबर 77 मौलवी अबू आला मौदूदी, जमात ऐ इस्लामी, S-I-M, S-I-O )_
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*"दिल पर हाथ रख कर और सोच कर सही बताओ, क्या ये सच में मुसलमान है..?*
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_"मुसलमानों वहाबियों से अपना ईमान बचाओ"""""_
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👉🏻नोट-->" माजअल्लाह, माजअल्लाह
" रब्बे करीम से हिदायत मांगो....
*"बेशक वो दुआ को कबूल करने वाला रहमान है।*
" अभी वक्त है और तौबा का दरवाजा खुला है फिर हशर में ना कहना हमें खबर नहीं थी।
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3 comments:

Anonymous said...

Wahabi deobandi ke akide kharab h ye ekdm shi baat hai..lekin ye ala hazrat kon h..kya nabi h jo kuch bol diya to sahi hi hga..
Kya Guarantee hai ki wo v sahi h

Anonymous said...

Aala hazrat ko samjhne ke liye kam se kam hajrat banne ki jarurat hai .ose har kisi ko samjhne ki bus ki baat nahi hai .otna ilm hasil karna parta hai tab jake aala hazrat ki baate samajh aayegi

Siraj Razvi Official said...

Achha Lagta hai Tu Engineer Pulamber ke Firke se hai
Isi liye Baat Bhi Jahil jaisa karta hai
Tu Pure Zindagi me Aala Hazrat RadiAllahu Anhu ke fatawa nahi padh Payega