➡*अंगूठे चूमने का सबूत *
➡रसूले कायेनात सल्लल्लाहू अलैहि
वसल्लम के नामे मुबारकको
सुनकर अंगूठे चूमना दुनिया - व-आखिरत में खैर-व -
बर्कत काबाइस है ! इस बात के सबूत में बहुत सी
अहादीस व तफ़सीर कीकिताबें मौजूद हैं !
अल्लामा इमाम शम्सुद्दीन सखावी
रहमतुल्लाही अलैहिदैलमी
हवाले से हजरत अबू बक्र सिद्दीक रजिअल्लाहू अन्हु
का अमलनकल
फरमाते हैं!
जब मोअज्जिन को अशहदुअन्ना
मुहम्मदुरसुलूल्लाहकहते सुना तो यही कहा और अपनी
शहादत की उंगलियों के पेटको चूमा और आँखों
से मसह किया तो हुजुर सल्लललाहु अलैहि
वसल्लम ने फरमायाजो
शख्स मेरे एस प्यारे दोस्त की तरह करेगा मेरी
शफाअत उसकेलिए
हलाल हो गयी !
सय्यदना
इमाम हुसैन रजिअल्लाहू अन्हु ने फरमाया!
जो शख्स मोअज्जिन से अशहदूअन्ना
मुहम्मदुरसुलूल्लाह सुनकरकहे
मरहबा बिहबीबी व कुरर्तु ऐनी
मुहम्मद बिन अब्दुल्लाहसल्लललाहू
अलैहि वसल्लम और दोनों अंगुठे चूमकर आँखों
पर रखे वहकभी अंधा न होगा और न उसकी आँखें कभी
दुखेंगी !
अल्लामा इब्ने आबिदीन शामी रहमतुल्लाही अलैहि
फरमातेहैं !
मुस्तहब है की जब अजान में पहली बार अशहदुअन्ना
मुहम्मदुरसुलूल्लाह सुने तो सल्लललाहू अलैका या
रसूलल्लाहकहे , और जब दूसरी बार सुने तो
कुरर्तु ऐनी बिका या
रसूलल्लाहकहे और फिर कहे अल्लाहुम्मा मत्तेअनी
बिस्समऐ व्ल्बसर और येकहना
अंगूठे के नाख़ून आँखों पर रखने के बाद तो
सरकार अकदस मेंजन्नत में ले जायेंगे ऐसा ही
कन्जुलइबाद में हैं !
📗( रुहुलब्यान जिल्द १९४ , उसी
के मिस्ल फतवाए सुफिया में है !
रद्दुलमुहतार जिल्द अव्वल 276 )