*एक ज़रूरी इत्तेला आवाम ए अहले सुन्नत वल जमात को ब गौर पड़े मेरे बरेलवी सुन्नी मुसलमान भाइओ।*
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बिला शक ओ शुभा
*रद ए वहाबिया करना फ़र्ज़ ए आज़म हैं*
लेकिन इस फतवे में आगे इमाम ए अहले सुन्नत सय्यदी आला हजरत फरमाते है:-
*जिस फ़ितने से ईमान के जाने का खतरा हो उसका भी रद करना फ़र्ज़ हैं।*
और
हदीस ए पाक में आया है:-
रब के प्यारे महबूब हमारे आक़ा ओ मौला ﷺ ने फरमाया:-
*जब मेरी उम्मत में फ़ितने ज़ाहिर हो तोह आलिम पर फ़र्ज़ है कि अपना इल्म ज़ाहिर करे और अगर आलिम ने अयेसा न किआ,*
(मतलब उम्मत में फ़ितने ज़ाहिर हुए और आलिम ने बेपरवाही मनाई,सुस्ती दिखाई,अपना इल्म ज़ाहिर न किआ,रद न किआ उठे हुए फ़ितनों का और उम्मत ए मुस्लिमा का ईमान न बचाया,क़ौम को आगाह न किआ उठे हुए फ़ितनों से)
तोह अयेसे आलिम का
*न फ़र्ज़ क़बूल,न नफिल क़बूल*
और अयेसे अलीम पर अल्लाह,रसूल,फ़रिशतो,
मोमिनो की लानत हैं।(मफूम ए हदीस ए पाक)
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नोट:-
*_जो आलिम वहाबियो,देवबंदियो,गुस्ताख़ ए खुदा ओ रसूल का रद करते हैं बेशक वो फ़र्ज़ ए आज़म पर अमल करते हैं लेकिन उनको ये भी जान न चाहिए कि सिर्फ इस पर अमल कर के वो आलिम अपना हक़ अदा नही कर सकते बल्कि जो भी नये फ़ितने ज़ाहिर हो उम्मत में उनका भी रद करना फ़र्ज़ है।`】_*
अब आईये मुसलमानों इस दौर ए हाजिरा के नए फ़ितनों पर एक नज़र:-
1⃣
इलियास अत्तार पाकिस्तानी सुलहकुल्ली गुमराह गुमराहगर का फितना ज़ाहिर हुआ उम्मत में
(दावत ए इस्लामी नाम निहाद तंज़ीम का)
*ये इलियास अत्तार बदमज़ब बवहाबियो के रद करने को मना किया है और अपने मनशूर में ये बात छापी हैं।*
2⃣
शाकिर अली नूरी(नाम निहाद) जो बेअदब हुआ हुज़ूर की तौहीन कर के माजल्लाह और सुलहकुल्लीओ से जा कर मिल गया
*(ज़हरुद्दीन सुलहकुल्ली से जो उलेमा काँसिल का एक नुमाइंदा है और उलेमा काँसिल में वहाबी,देओबंदी,शिया सब जुड़े हैं।)माजल्लाह*
ये दोनों तंज़ीम सुलहकुल्लियत को बढ़ावा दे रही है और सुलहकुल्लियत सुन्नियो का ईमान खा जाती हैं।
3⃣
और दौर ए हाज़िर का सबसे नया और ज़हरीला बदबूदार फितना जो सुन्नी,बरेलवी होने का लेबल लगा कर वहाबियत की बोली बोलता है और आवाम ए सुनियत को बेअदब बनाने चला है,माजल्लाह
*तथहीर तांडवी जो(तजुषशरिया उर्फ अजहरी मिया का खलीफा हैं)इसने अपनी किताबो में बहुत सी बददीनी और बेअदबी से भरें कलिमात बके है:-*
जिसने हुज़ूर ए अकरम ﷺ को माजल्लाह
1:-)अल्लाह के सामने बेबस लिखा।
2:-)साहब ए इकराम को ज़ानि लिखा।
3:-)सहाबा को खताकार और औलिया अल्लाहो को गुनाहगार लिख दिया।
4:-)सलात ओ सलाम को कभी-कभी छोड देना चाहिए।
5:-)11वी शरीफ का जुलूस आवामी सतह पर न मनाया जाये और हुज़ूर गरीब उन नवाज़,हुज़ूर साबिर ए पाक,हुज़ूर वारिस ए पाक और औलिया अल्लाह के उर्स के मौके पर परचम कुशाई न किआ जाएं।
6:-)औलिया अल्लाह के मज़ार ए मुक़द्दसा को मंदिर ओ गुरुदुआरो से तशबी दिया।
7:-)औलिया अल्लाह का ज़िक्र इतना न करो कि खुदा को ही भूल जाओ।
माजल्लाह-माजल्लाह
अस्तगफिरूल्लाह
ये सब बोली वहाबियो की हैं और ये गुस्ताखी और बेअदबी भरी बाते बक रहा हैं, छाप रहा है,5 से 6 साल पहले से और सुन्नियो के अक़ीदे ओ ईमान को खराब कर रहा हैं लुटे ले रहा है।
*सुना जंगल रात अंधेरी छाई बदली काली हैं सोने वालों,ईमान वालों, जागते रहिओ चोरों की रखवाली हैं।*
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*तोह जो उलेमा ए अहले सुन्नत इन सब फ़ितनों का रद कर रहे है और नबी करीम ﷺ के बताए हुए दर्स पर अमल कर रहे है,अपने फ़र्ज़ पर लेकिन जो मौलवी अयेसा नही कर रहे हैं वो इस हदीस ए पाक की रौशनी में अपना मुहासिबा करे और कि जो उलेमा ए अहले सुन्नत ने इस ततहीर तांडवी बेअदब का रद किआ उनके नाम ज़िक्र है।*
औलाद ए गरीब नवाज़ हुज़ूर सय्यद फरीद उल हसन चिश्ती मुशाहीदी, अजमेर शरीफ
औलाद ए गरीब नवाज़ सय्यद हुसैनी मिया मिस्बाही अशरफी,नागपुर
खलीफा ए मुफ़्ती ए आज़म ओ खलीफा ए मुजाहिद ए मिल्लत हज़रत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती नईम उल्लाह खान रज़वी,बर्रीली शरीफ
शहज़ाद-गान ओ नबीर-गान ए वारिस ए उलूम ए आला मुनाजरे अहले सुन्नत शेर बे शेर अहले सुन्नत मज़हर ए आला हजरत अल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद हशमत अली रदियल्लाहो अन्हु,
ख़ानक़ाह हशमतिया,
हशमत नगर, पीलीभीत शरीफ(उ,प,)
सुना जंगल रात अंधेरी छाई बदली काली हैं,
सोने वालों जागते रहिओ चोरों की रखवाली हैं।
अज़ कलम:-
गुलाम ए अशरफी लखनऊ(उ,प,)