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Monday, October 18, 2021

दुरूद शरीफ़ | दुरूद ऐ पाक | Durood Shareef Hindi me

 *🌹दुरूदे_पाक🌹*


*हदीस-* जिसने दुरूदे पाक को ही अपना वज़ीफा बना लिया तो ये उसकी दुनिया और आखिरत के लिए तन्हा काफी है और उसको दूसरे किसी वज़ीफे की जरूरत ही नहीं है


📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 3,सफह 77


*दुरूदे ग़ौसिया-* अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिम मअदिनिल जूदी वल कर'मि व आलिहि वबारिक वसल्लिम


اللهم صلى على سيدنا ومولانا محمد معدن الجود والكرم واله وبارك وسلم


 ये दुरूद खानदाने क़ादरिया के बुज़ुर्गों के मामूल से है, जो रोज़ाना 111 बार इसे पढ़ता रहेगा वो रहमते खुदावन्दी से मालामाल हो जायेगा और उसे ये सात नेअमतें हासिल होगी

1.रिज़्क़ में बरकत

2.तमाम काम आसान हो जायेंगे

3.नज़अ के वक़्त कल्मा नसीब होगा

4.जां कनी की सख्ती से महफूज़ रहेगा

5.क़ब्र में वुसअत होगी

6.किसी का मोहताज ना होगा

7.तमाम मख्लूक़ उससे मुहब्बत करेगी


📕 खज़ीनये दुरूद शरीफ,सफह 99


*दुरूदे सआदत-* अल्लाहुम्मा सल्लि अला सय्यदना व मौलाना मुहम्मदिन अददा माफी इलमिल लाहि सलातन दा---इमातम बिदावामि मुल्किल लाह 


اللهم صلى على سيدنا محمّد عدد مافى علم الله صلوة دآيمةً بداوام ملك الله


 जो कोई एक बार पढ़ता है तो 6 लाख दुरूदे पाक का सवाब उसके नामये आमाल में लिखा जाता है


📕 खज़ीनये दुरूद शरीफ,सफह 234


*दुरूदे शिफा-* अल्लाहुम्मा सल्लि वसल्लिम वबारिक अला सय्यिदिना व मौलाना मुहम्मदिन तिब्बिल क़ुलूबी वदावा--एहा वआफियातिल अबदानि वशिफा--एहा व नूरिल अब्सारि व'देया--एहा वआलिही वसहबिही दा--इमन अबदा 


اللهم صلى وسلم وبارك على سيدنا ومولانا محمد طب القلوب وداواٌيها وعافية الابدان وشفاٌيها ونور الابصار وضياٌيها واله وصحبه دائمآ ابدا


 100 बार 40 दिन तक किसी भी मरीज़ पर पढ़कर दम करें इन शा अल्लाह शिफा होगी


📕 खज़ीनये दुरूद शरीफ,सफह 252


*दुरूद शरीफ-* जज़ल लाहु अन्ना सय्यिदिना मुहम्मदन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमा बिमा हुवा अहलुहु 


جزى الله عنا سيدنا محمدا صلى الله عليه وسلم بما هو أهله


 जो कोई एक बार पढ़ेगा तो 70 फरिश्ते 1000 दिन तक उसके नामाये आमाल में नेकियां लिखते रहेंगे


📕 तिब्रानी,जिल्द 2,सफह 124


*दुरूदे जुमा-* सल्लललाहु अलन नबिय्यिल उम्मियी व आलिहि सल्लललाहु अलैहि वसल्लमा सलातौंव वसालामन अलैका या रसूल अल्लाह 


صلى الله على النبيّ الاميّ واله صلى الله عليه وسلم صلاة وسلام عليك يا رسول الله


बाद नमाज़े जुमा मदीना तय्य्बह की जानिब मुंह करके 100 बार पढ़ें सहीह और मोतबर हदीसो से इसके 40 फायदे साबित हैं चंद यहां ज़िक्र करता हूं, और सोने पर सुहागा ये कि आलाहज़रत ने इस दुरूदे पाक की इजाज़त तमाम सुन्नियों को अता फरमाई है


1. इसके पढ़ने वाले पर मौला 3000 रहमतें उतारेगा


2. उस पर 2000 बार अपना सलाम भेजेगा 


3. 5000 नेकियाँ उसके नाम-ए आमाल में लिखेगा 


4. उसके 5000 गुनाह माफ करेगा 


5. उसके 5000 दर्जे बुलंद करेगा 


6. उसके माथे पर लिखेगा कि ये मुनाफिक़ नहीं 


7. उसके माथे पर लिखेगा कि यह दोज़ख से आज़ाद है 


8. मौला उसे क़यामत के दिन शहीदों के साथ रखेगा 


9. उसके माल में तरक़्क़ी देगा 


10.उसकी औलाद और औलाद की औलाद में तरक़्क़ी देगा


11.दुशमनों पर ग़लबा देगा 


12.दिलों में उसकी मुहब्बत रखेगा  


13.किसी दिन ख्वाब में हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम का दीदार करेगा 


14.ईमान पर खात्मा होगा


15.क़यामत में हुज़ूर सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम उससे मुसाफह करेंगे


16.रसूल अल्लाह सल्लललाहु तआला अलैहि वसल्लम की शफाअत उसके लिए वाजिब होगी 


17.अल्लाह उससे ऐसा राज़ी होगा कि कभी नाराज़ ना होगा 


📕 *अलवज़ीफतुल करीमा,सफह 32*


जब भी कोई नया काम शुरू करें ,

   खाना खाएं , पानी पिएं , तो तस्मिया ( बिस्मिल्लाह ) के साथ साथ दुरूद शरीफ ज़रूर पड़ लिया करें , 

   जिस नबी का सदक़ा खा पी रहे हैं , जिसकी तक़सीम करदा अश्या का लुत्फ उठा रहे हैं , _उस नबी पर दुरूद सलाम ज़रूर भेजा करें ,


     नबी पाक अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया 


( अल्लाह अता करता है और मैं तक़सीम करता हूँ ) सही बुख़ारी बाबुल इल्म ,


 और दुरुद भेजने का कोई वक़्त नहीं जब चाहे जहां चाहें , नेक काम शुरू करना हो , या आम तौर पर , दुरूद की कसरत करते रहें , क्योंकि दुरुद सबसे अफ़ज़ल वज़ीफ़ा है , हर काम के लिए मुफ़ीद 


 ज़्यादा नहीं तो बस इतना ही पड़ लिया कीजिये 


              ( सल्ललाहु अलैही वसल्लम )