अल्लाहुम्मा सल्ली अला सय्यिदिना व मौलाना मौहम्मदिम
मा-अ-दिनिल जूदी बल किरामी वबारिक वसल्लिम
(1) दुरूद-ए-गौसिया रोज़ाना 11 बार पढ़ने की फ़ज़ीलत
इंशाअल्लाह उसके दिल की हर मुराद पूरी होगी
(2) दुरूद-ए-गौसिया रोज़ाना 111 बार पढ़ने की फ़ज़ीलत
इंशाअल्लाह वो शख्स हर बुरी बला और मुसीबत से महफूज़ रहेगा
(3) दुरूद-ए-गौसिया हर नमाज़ के बाद 7 बार पढ़ने की फ़ज़ीलत
इंशाअल्लाह वो शख्स शैतान के शर से महफूज़ रहेगा
(4) दुरूद-ए-गौसिया रोज़ाना रात को 33 बार पढ़ने की फ़ज़ीलत
इंशाअल्लाह उसका चेहरा नूरानी हो जाएगा
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