async='async' crossorigin='anonymous' src='https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-6267723828905762'/> MASLAK E ALAHAZRAT ZINDABAAD

Sunday, October 24, 2021

गुस्ताख़ और मुनाफ़िक़ से इत्तेहाद

👉अगर तुम *रद्दे_गुस्ताख* करो और कोई बुद्धिजीवी तुम से ये कहे कि👇👇👇👇👇👇

"मत करो फिरकेबाजी इसी वजह से मूली गाजर की तरह काटे जा रहे हो इत्तेहाद कर लो गुस्ताखों के बारे में कुछ मत कहो नहीं तो ऐसे ही मारे जाओगे"
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तो उस दीवाने से कह देना
*ईमाम_मालिक* फरमाते हैं कि सारी उम्मत मर जाये अगर वो *हुजूर ﷺ* की इज़्ज़त पर पहरा ना दे सके....

इसलिए हमारा मर ही जाना बेहतर है जब सरकार की इज़्ज़त पे पहरा ना दे सके तो...

*सुन लो मुसलमानो!*
दुनिया में सबसे बड़ा मसला *सरकार दो आलम ताजदारे मदीना ﷺ की इज्जत का है* बाकी उससे बढ़ कर कुछ भी नहीं.....

गुस्ताख़ फिरको़ं के साथ कभी इत्तेहाद नहीं किया जा सकता जो *अल्लाह और उसके रसूल* की शान में , और *अल्लाह के वालियों* की शान में खुले आम गुस्ताखियां करते हैं,,,,हम उससे इत्तेहाद करके क्या मुंह दिखाएंगे *क़ब्र में अपने आक़ा ﷺको।*

बिना *मुहब्ब्त ए मुस्तफ़ा ﷺ के* ना दुनिया मे कामयाब होंगे ना बरोज ए महशर...

जब काफ़िर और मुनाफ़िक़ हमारे नबी और इस्लाम की शान में गुस्ताखियां करते हैं तब तुम लौंडो के जबान से एक आवाज़ नहीं निकलती। 

दिन रात बेहयाई,बुराई और इश्कबाजियां करते रहते हो, 

कभी दीन के फरमान पर अमल करना नहीं चाहते,,,,, और जब जुल्म होता है तो हर हक़ और बातिल ,, मुसलमान और मुनाफिक़ो के एक होने की बात करते हो। अक़्ल मारी गयी है तुम्हारी।

मुनाफिक़ो से इत्तेहाद करके कौन सी फतह हासिल करना चाहते हो?

इस तरह का इत्तेहाद सिर्फ गुमराही और कुफ्र की तरफ ले जाने वाला है।
काश तुमने दीन ए इस्लाम को पढ़ा होता और अमल किया होता तो ऐसी बात न करते।

इमान वालों खुद अपने बाजू में वो ताक़त पैदा करो,,,अपने नबी के फरमानों पर अमल करते हुए अपने अंदर वो जज्बा ए ईमानी पैदा करो जिससे दुश्मनों को सीधा जहन्नम रशीद कर सको।

हमारी सारी दोस्ती और दुश्मनी अल्लाह और उसके रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के लिये...

मरना तो एक दिन सब को है ,,, बस ईमान पर खात्मा हो यही सब से बड़ी कामयाबी है।

*_की मुहम्मद ﷺ से वफ़ा तूने तो हम तेरे हैं..._*
_ये जहां क्या चीज़ है लोह क़लम तेरे हैं!!_┄─┅━━━━━━━━━┅─┄●•●

हक़ से बातिल को न मिलाओ