जंगल मे एक शख्स के पिछे एक
शेर लग जाता है
वो जान बचाने के लिए एक कुंए
मे लगी रस्सी पकड कर लटक
जाता है
और जब निचे देखता है तो कुंए
की गहराई मे एक अस्हदा (सांप)
बैठा होता है.
इतने मे दो चुंहे
(काले और सफेद रंग के)
उस रस्सी को कतरने लग जाते है
अचानक उसे कुंए मे शहद का छत्ता
नजर आता है और वो शहद को उंगली से
ज़बान पर लगाता है
शहद की मिठास उसे उपर
मौजुद शेर, निचे बैठा अस्हदा
और दो चुहे भुला देती है.
वो भुल जाता है के आखिर उसे
निचे ही गिरना है.
"इमाम गझाली" केहते है इस मिसाल में
शेर 'मौत' है जो हर वक्त तुम्हारे
पिछे है
अस्हदा (सांप) 'कबर' है जिसमे तुम्हे
हर हाल मे जाना है
दो चुहे 'दिन' और 'रात' है जो
तुम्हारी जिंदगी की (रस्सी) को
आहिस्ता आहिस्ता कतर रहे है
और
वो शहद 'दुनिया' है जिसको थोडा सा
चख़ा तो तुम्हे मौत, कबर, वक्त
और आख़िरत सब भुला देता है
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पोस्ट की गहराई को समझो,
मौत से पहले , मौत की तय्यारी
करलो....
Saturday, November 14, 2015
जंगल में एक शख़्स
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